Abhaya Sharma

Abhaya Sharma Poems

माँ तो आखिर माँ होती है
मेरी या तेरी या फिर किसी और की
कैसे माँ से भिन्न भला माँ हो सकती है
सोलह आने सच है - माँ तो आखिर माँ होती है
...

How does she know when you hide a cigarette from her during the early college days.
How does she guess the girlfriend in your life.
How does she know what you will eat at a particular hour.
How does she know when you have had a bad day at work.
...

एक पथ पर चल रहे हैं
है एक सी ही चांदनी
धूप भी उतनी ही लगती
और हवा सम मन लुभाती
...

अब्दुल कलाम

अब्दुल कलाम तुमको
इस देश का सलाम
...

होश मेरे उड़ गये
अल्फाज़ भी थे खो गये
जब देखता हूं यह गरीबी
या कहूं इतनी फकीरी
...

मेरे अंगोंसे अंग काटकर
कॊई जीवन पार लगा देना
मरने के बाद मेरे हमदम
जग का कल्याण करा देना
...

एक मैं और एक मेरी
ज़िंदगी का रंग है
तुम ये मानो या न मानो
दिल नही ये संग है
...

हमको तुझ से प्यार है भाषा
भारत की अब एक ही आशा
सबको एक साथ लेकर जब
हिन्दी फिर आगे आयेगी
...

Eleven miles far from Paris -
In deep forestry quite enchanting
The pride of Versailles stood alike,
Filled to brim with the feats of life
...

यदि कर पाता कुछ गुण बखान
कह पाता कुछ देकर सम्मान
बच्चन, हे मेरे कवि प्रधान
क्या कलमवीर थे तुम महान
...

क्यों मै अपनी रातें
काली करता हूं
क्या मिलता है
जो दीप जलाये बैठा हूं
...

पिता-पुत्र की अलग कहानी
है तुमको फिर आज सुनानी
कहती थी जो मेरी दादी-नानी
लगती थी वो बातें बड़ी सयानी
...

अपने इस जीवन-यापन में
कहीं ऎसा कुछ कर जाना है
जग याद रखे इस दुनिया में
एक ऎसा भी है इंसान हुआ
...

हे दुर्गे अंबे जगदम्बे
जग की काली माँ
शरण तुम्हारी आया है
एक भक्त अनोखा माँ ।
...

रात के तम को चलो हम चीर दें
इस जगत को एक नया हम पीर दें
भाईचारे-शांति का पावन अनोखा तीर दें
चल सके इस विश्व में योद्धा नया एक वीर दें
...

When the heart takes over the mind.
When a rush of emotion penetrates the being.
When a warmth pervades the flush on our skin.
When dew shaped invisible capsules begin to swell under the eyes.
...

इन अंधेरे रास्तों में
गुम कहीं हो जाऊंगा
और तुमसे दूर होकर
जब न तुमको पाऊंगा
...

रात आधी जब है होती
और दुनिया सोई होती
तब मेरे हाथों में आकर
कोई लिखवाता है जाकर
...

जहां नही संघर्ष
वो जीवन कैसा है
सुख हो न हो दुख
वो सुख कैसा है?
...

खो गये मिल कर भी जो
उनसे कोई कुछ क्या कहे
मंज़िलों के पास आकर भी
भटकते रास्ते चलते गए
...

Abhaya Sharma Biography

I have been writing some poems in Hindi for a while now.. the first ever poem was written by me when I was a student of Ninth standard at Kendriya Vidyalaya Port Blair.. The second poem was composed much later during my stay at Anand Bhavan.. Vigyaan ki Pooja hogi.. somewhere around 1985-1986.. My poems are available at my website at the following link.. http: //www.abhayasharma.net/kavitayen I consistently try to keep the language as simple as is feasible without an impact on the intent of what I want to say..)

The Best Poem Of Abhaya Sharma

Maa to aakhir maa hoti hai - माँ तो आखिर माँ होती है

माँ तो आखिर माँ होती है
मेरी या तेरी या फिर किसी और की
कैसे माँ से भिन्न भला माँ हो सकती है
सोलह आने सच है - माँ तो आखिर माँ होती है

जन्म-काल से पहले के उन नौ मासों में
बंधन माँ से जुडे हमारे कई बरसों के
काटे नही कटते, नही टूटते किसी तरह से
कहता है दिल - माँ तो आखिर माँ होती है

माँ, तुम राजाओं की माँ
तुम पीर-फ़कीरों की भी माँ
कैसे चलता जग बिन माँ के
कुछ झूठ नही कि - माँ तो आखिर माँ होती है

माँ, आज तुम्हारे जाने की बेला आई
मन विह्वल है, भावुक है मेरा विचलित है
कल किसे कहूंगा जाकर माँ सपने अपने
यह मान लिया कि - माँ तो आखिर माँ होती है

दुख-संकट में, बचपन में, जीवन के यौवन पर
वह एक सहारा सदा तुम्हारा क्या कम था
भीषण दुख की अग्नि में अब जलता है मन
छूट गया है साथ कि - माँ तो आखिर माँ होती है

अब कौन सुनेगा जग में वह मेरे सपने
तुम कहां चली माँ छॊड हमें हम थे अपने
कहीं दिया बुझ गया कोई तुम्हारे जाने से
अंधकार में डूबा मन कि - माँ तो आखिर माँ होती है ।


- अभय शर्मा

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