क्यों मै अपनी रातें
काली करता हूं
क्या मिलता है
जो दीप जलाये बैठा हूं
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पिता-पुत्र की अलग कहानी
है तुमको फिर आज सुनानी
कहती थी जो मेरी दादी-नानी
लगती थी वो बातें बड़ी सयानी
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अपने इस जीवन-यापन में
कहीं ऎसा कुछ कर जाना है
जग याद रखे इस दुनिया में
एक ऎसा भी है इंसान हुआ
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हे दुर्गे अंबे जगदम्बे
जग की काली माँ
शरण तुम्हारी आया है
एक भक्त अनोखा माँ ।
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रात के तम को चलो हम चीर दें
इस जगत को एक नया हम पीर दें
भाईचारे-शांति का पावन अनोखा तीर दें
चल सके इस विश्व में योद्धा नया एक वीर दें
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When the heart takes over the mind.
When a rush of emotion penetrates the being.
When a warmth pervades the flush on our skin.
When dew shaped invisible capsules begin to swell under the eyes.
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इन अंधेरे रास्तों में
गुम कहीं हो जाऊंगा
और तुमसे दूर होकर
जब न तुमको पाऊंगा
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रात आधी जब है होती
और दुनिया सोई होती
तब मेरे हाथों में आकर
कोई लिखवाता है जाकर
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जहां नही संघर्ष
वो जीवन कैसा है
सुख हो न हो दुख
वो सुख कैसा है?
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खो गये मिल कर भी जो
उनसे कोई कुछ क्या कहे
मंज़िलों के पास आकर भी
भटकते रास्ते चलते गए
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