Ambarish Srivastava Poems

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1.
'Kundaliya' Chhand

'कुंडलिया' छंद

नैना बरसे नीर बन, दुनिया जो दे दाँव.
चलकर नीचे जा रहे, हैं पानी के पाँव.
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2.
'Vishnupad' Chhand

'विष्णुपद' छंद

(चार चरण प्रति चरण सोलह, दस
मात्राओं पर यति, चरणान्त में गुरु)
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3.
Gazal

ग़ज़ल

(बह्र: बह्र मुजारे मुसम्मन अखरब मक्फूफ़ महजूफ
मफईलु फायलातु मफाईलु फायलुन
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4.
Gazal 1

ग़ज़ल 1

२१२१ २१२२ २१२
फायलातुन फायलातुन फायलुन
...

5.
Gazal 2

ग़ज़ल 2

मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलन
1222 1222 122
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6.
Sarasvati Vandna (सरस्वती वंदना)

सरस्वती वंदना

शुचि शुभ्रवसना शारदा वीणाकरे वागीश्वरी,
कमलासनी हंसाधिरुढ़ा बुद्धिदा ज्ञानेश्वरी,
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