Anchal Dhanush Verma

The Best Poem Of Anchal Dhanush Verma

'वक्त को पीछे छोड़ दें हम ऐसी रच दें अपनी दुनिया'

वक्त को पीछे छोड़ दें हम ऐसी रच दें अपनी दुनिया,
वक्त को पीछे छोड़ दें हम ऐसी रच दें अपनी दुनिया,
विष के घूँटों में अमृत की धारा फोड़ दें हम रहे खुशहाली हर घड़ीयाँ,
वक्त को पीछे छोड़ दें हम ऐसी रच दें अपनी दुनिया।

धारा ने हमारी पर्वत बन अम्बर भी चूँबा है,
गंगा की गहराई में हमारी सारा सागर ढूबा है,
जब जब कोई प्यासा बैठा है हमने बहा दिया पसीना है
हम वीरों के कंधों पर संभला भारत एक अजूबा है।

मंगल पर भी झंडे गाड़ दें हम नहीं है हममें कोई कमियाँ,
वक्त को पीछे छोड़ दें हम ऐसी रच दें अपनी दुनिया।

युवक हैं हम पर सुनलो पौधा ही बनता पेड़ सदा,
हर एक खाली हाथों को भरकर कर दें आशीष अदा,
जब कभी शरहदों ने माँगा है शीशों का बलिदान खुदा
हम ही थे पहले जिसने हँसकर माँ से ली विदा।

कभी हुए जो मन विचलित बाँच लो इस कविता की कड़ियाँ,
वक्त को पीछे छोड़ दो तुम भी ऐसी रच दो अपनी दुनिया।

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