Anoop Pandit

Anoop Pandit Poems

बेटी: ए माँ मुझे भी आने दे तेरी ममता के संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में

माँ: बेबस हूँ मै मेरी लाडो कुछ भी नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी
...

छोटे छोटे हाथों में बड़े बड़े बोझ
कूड़े के ढेर में रहे ज़िन्दगी खोज।

सुबह सवेरे निकल पड़ते है
ले हाथों में बस्ता
...

हे पथिक! चलते रहो तुम
क्यों थकन से चूर हो
हौसला ना छोड़ना
चाहे मंजिल दूर हो ।
...

जो चले गए केदार उनके हाल पे रोयें
जिन पर पड़ी वक़्त की मार, उनके हाल पे रोयें।
बहुगुनाजी चले अकड़ कर
सोनिया जी का हाथ पकड़ कर
...

मेरे बिखरे है केश, मेरो बिगडो है भेष
मेरे लल्ला तू जब ते गयो है परदेस

सुधि कोई लई नाय पाती कोई दई नाय
...

कैसे श्रंगार लिखूँ ऐसे हालातों में
जाने क्या रखा है इन प्यार की बातों में

फैली महँगाई है कैसी मंदी छाई है
...

रूबरू हो ग़मों से पर ये अहसास रख
गम कभी दूर तलक नहीं जायेंगे
बीत जायेंगे दिन दुखों के अनु
दिन सुखों के भी फिर लौट कर आयेंगे
...

Anoop Pandit Biography

I am a teacher.)

The Best Poem Of Anoop Pandit

ए माँ मुझे भी आने दे (कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित)

बेटी: ए माँ मुझे भी आने दे तेरी ममता के संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में

माँ: बेबस हूँ मै मेरी लाडो कुछ भी नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी

बेटी: तुझको भी ए माँ कोई तो इस दुनिया में लाया था
तूने भी तो बेटी बनकर जन्म यहीं पर पाया था
फिर मै क्यों नहीं ले सकती हूँ साँसे इस संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में।

माँ: ताने दे दे कर ये दुनिया मुझको रोज सताएगी
फिर भी मेरी लाडो उनसे तू नहीं बच पाएगी
जान देकर भी मै तेरी रक्षा नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी।

बेटी: ये दुनिया की रीत है कैसी बेटी को दुत्कार रहे
जन्मी नहीं जो अब तक उसको गर्भ में ही मार रहे
छुपा लेना मैया मुझको अपने आँचल और दुलार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में।

माँ: आँचल है छोटा सा लाडो तू उसमे समा ना पायेगी
कुछ ही छनो में बेटी तू मुझसे दूर कर दी जायेगी
चाह कर भी मै तो तेरे पास नहीं रह पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी।

बेटी: इस तरह तो दुनिया से ए माँ, बेटी ख़त्म हो जायेंगी
फिर अपने बेटों के लिए यहाँ बहुएं कहाँ से आएँगी
बिन माँ के फिर कौन बनेगा बाप इस संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में ।

माँ: सब को पता है फिर भी सब इस सत्य से अनजान है
बेटी से ही तो इस जग में संचरित होते प्राण है
जन मानस में इस चेतना को यदि मै ला पाउंगी
मुझे आशा है बेटी मै तुझको अवश्य जनम दे पाउंगी

बेटी: जाती हूँ मै वापस मैया तज कर तेरे धाम को
लेकिन श्राप ये देती हूँ मै पुरुषों के नाम को
गर ख़त्म ये कुरीति नहीं करेंगे पुरुष अपने व्यवहार में
कोई न उनको ला पायेगा वापस इस संसार में

ना माँ ना मुझे नहीं आना इस पुरुषों के संसार में
तूने व्यर्थ ही दर्द सहा है मेरे इंतजार में ।

Anoop Pandit Comments

Arushi Goel 07 July 2013

I feel proud to be here on dis page and read all ur epigrams on such important issues of our country! splendid work indeed! :)

0 0 Reply
Vishesh Chaturvedi 07 July 2013

all poems are written from heart and they all are mindblowing

1 0 Reply

Anoop Pandit Popularity

Anoop Pandit Popularity

Close
Error Success