indu rinki verma Poems

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1.
मां मुझे डर लगता है

मां मुझे डर लगता है.... बहुत डरलगता है....सूरज की रौशनी आग सी लगती है....
पानी की बुँदे भी तेजाब सी लगती हैं....
मां हवा में भी जहर सा घुला लगता है....मां मुझे छुपा ले बहुत डर लगता है....
मां याद है वो काँच की गुड़िया, जो बचपन में टूटी थी....
...

2.
बचपन....

3.
Khoobseerat Sa Wajood

Kitna asaan hai na...

Gairon ki betiyon ka vajood tay kar jana..
Nazariye ke tarazoo ko apmaan se bharkar..
...

4.
कितना आसान है न...

कितना आसान है न....

गैरों की बेटियों का वजूद तय कर जाना …
नज़रिए के तराजू को अपमान से भरकर…
...

5.
कितना आसान है न...

कितना आसान है न....

गैरों की बेटियों का वजूद तय कर जाना …
नज़रिए के तराजू को अपमान से भरकर…
...

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