Pawan lubana

Pawan lubana Poems

पसीने से लतपत हुआ,
सड़्क पर चल रहा.
सूर्ज महाराज की गर्मी सहता,
मैं चल रहा.
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पसीने से लतपत हुआ,
सड़्क पर चल रहा.
सूर्ज महाराज की गर्मी सहता,
मैं चल रहा.
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The Best Poem Of Pawan lubana

वाह! बाद्ल तूने कया खेल दिखाया

पसीने से लतपत हुआ,
सड़्क पर चल रहा.
सूर्ज महाराज की गर्मी सहता,
मैं चल रहा.

म्नज़िल अभी दूर थी,
सूर्य का केहर था.
हालत मेरी बुरी थी,
ना जाने कितना चलना था.

कहीं से वह काले बाद्ल आए,
ठंडी हवा साथ लेकर आय.
गुड़-गुड़, गुड़-गुड़ की धुन गाए,
पानी की वह बूंदे टपकाए.

अब सूर्ज ना दिखाई दिया,
वह डर कर कहीं छिप गिया.
मैं खुशिओ से झूमने लगा,
वाह! बाद्ल तूने कया खेल दिखाया.

अब बारिश से लतपत हुआ,
घर को जा रहा.
ममी जी की डाँट सहता,
कपड़े अपने धो रहा.....

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