अजब आलम है जीना औ' मरना एक जैसा है
मोहब्बत को समझना ना समझना एक जैसा है
तबस्सुम पर मेरे कोई कहानी ना बना लेना
मरीजे इश्क का हँसना तड़पना एक जैसा है
तेरे साथ भी खुश था मैं तेरे बाद भी खुश हूँ
तेरा मिलना मिलकर के बिछड़ना एक जैसा है
बेफिकर है बेलौस है बंदा ये बेपरवाह
ललित से इश्क करना सर पटकना एक जैसा है
सारी खुदाई लोरियों पर माँ तेरी कुरबान
खुदा का गीत और माँ का तराना एक जैसा है
इस खुबसूरत ग़ज़ल को पढ़ना जैसे ज़िन्दगी की तल्ख़ सच्चाइयों से रु-बी-रु होना है. इन पंक्तियों में एक अज़ीम शायर का अक्स नज़र आता है. धन्यवाद, मित्र.
Alag alag aur Juda juda sab ek jaisa....Wah wah, ....10 Nimantran hai meri kavita padhne ka....Kya pata hum dono ki mauzu bhi ho ek jaisa....
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Heart touching line brother