एक पुराना खत मिला कागज के ढेर में Poem by Dinesh Kumar Gupta

एक पुराना खत मिला कागज के ढेर में

Rating: 5.0

आज अनयास ही किताबों के उलट फेर में
एक पुराना खत मिला कागज के ढेर में

फिर उसने कुरेद दीं कुछ पुरानी बातें
जो दफन थी यादें वक़्त के तह फेर में

आज चलूँ एक बार फिर उसी मोड़ पर
जहां करते थे इंतेजार तुम शाम-सबेर में

चाँद लेकर आई है चाँदनी मेरे आँगन में
रोशनी नही फैली बस मेरे मन अंधेर में

जो रहता है ऐतबार अब भी उसके वादों का
कब तक मैं बंधी रहूंगी इस उम्मीदें डोर में....

Thursday, November 5, 2015
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Akham Nilabirdhwaja Singh 05 November 2015

Lovely.Nicely written.

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Rajnish Manga 05 November 2015

आपका यह आरंभिक प्रयास प्रशंसनीय है, मित्र. धन्यवाद व शुभकामनायें.

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