मैं प्यार में उधार हो गया Poem by Upendra Singh 'suman'

मैं प्यार में उधार हो गया

Rating: 4.5

प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो गया, यारों मैं तो प्यार में उधार हो गया.

कैसे मनाऊँ दिल मेरा ये मानता नहीं, प्यार के सिवा कुछ भी जानता नहीं.
दिल ये नादां मेरा बेकरार हो गया.
प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो...........

मनवां बेचैन चैन मेरा चुराये, ज़ालिम जुदाई सितम मुझ पे ढाए.
दर्द दूरियों का दिल के आर-पार हो गया.
प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो...........

गेसुओं की मतवाली काली घटाएं, देतीं हैं मुझको वो मादक सदायें.
तेरी ज़ुल्फों में मैं तो गिरफ्तार हो गया.
प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो...........

चला अपना वश ना ना कोई बहाना, तेरी अदाओं का दिल ये दीवाना.
दिल से दिल का ऐसा क़रार हो गया.
प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो...........

रातों को नींद नहीं आती है क्या करूं, तन्हाई मुझको सताती है क्या करूं.
हुस्नवाले मैं तेरा कर्जदार हो गया.
प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो...........

मुझको सताता मोहब्बत का जादू, दिल ये हुआ यारों मेरा बेकाबू.
मेरे सीने की कफ़स फांद वो फरार हो गया.
प्यार ज़िन्दगी का मेरे कारोबार हो...........

उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Sunday, November 22, 2015
Topic(s) of this poem: love and life
COMMENTS OF THE POEM
Narendra Kumar Mishra 06 December 2015

Baahut hi khoob rachna hai... , Kuchh doobe to kuchh paar ho gaye.. Zindagi me jine ka tum aadhar ho gaye... Jo thi khwahis meri adhuri barso se.. Tum aaye jo saare sapne sakar ho gaye...

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