तुमने मुझको क्या न दिया है Poem by Upendra Singh 'suman'

तुमने मुझको क्या न दिया है

तुमने मुझको क्या न दिया है.
सब कुछ मुझ पर वार दिया है.

मेरी दुनियाँ में आ करके,
मन के मोती बिखरा करके,
जीवन का श्रृंगार किया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

सागर सी गहरी आँखों में,
नेह उर्मि के विश्वासों ने,
प्रेम का पारावार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

मादक क्षण दे मधुमय पल दे.
स्वर्णिम सुखद धवल सा कल दे.
जीवन को विस्तार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

मृदु भावों की गागर भर के.
अपना जीवन रस दे करके,
सपनों को साकार किया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

मेरे सूनेपन में आकर,
मृदुल मंजु मधु प्यार लुटाकर,
तुमने मुझको तार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

मेरे मादक मेरी आशा,
मृदुल विमल मंजुल मनभावन,
यौवन का उपहार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

मन मधुबन में प्रीति जगाकर,
मुझको अपना मीत बनाकर.
अमृत का आगार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

प्रेम समर्पण तेरा अनुपम,
जीवन अर्पण तन-मन अर्पण,
स्वंय को सहज विसार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

हीरे-मोती से भर दी है,
तुमने मेरी खाली झोली.
मन-उपवन में पुष्प खिलाकर,
खुशिओं का संसार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................

उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Thursday, December 3, 2015
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success