युवाओ Poem by Ajay Srivastava

युवाओ

युवाओ कदम बढ़ाओ, साहस को जुटाओ
तुम्हे अनैतिकता को हरा कर
नैतिकता की मशाल जलानी है।
खोकले आदर्शो की भेड़ चाल चलने वालो को
आदर्शो के नए माप दण्डो का पालन करवाना है।

तुम्हे ही कानूनो का पालन करना और करवाना है।
तुम्हे ही विज्ञानं के आधुनिक चमत्कार दिखने है।
तुम्हे ही खेलो में भारत को पदक दिलाने है।
तुम्हे ही भारतीय तिरंगे को विश्व में लहराना है।

युवाओ भारत का नव निर्माण तुम्हे ही करना है।
दिखा दो सारी दुनिया को
हम किसी तीर से नहीं, हम किसी तलवार से नहीं
हम अपनी योगयता से आधिनिक भारत का निर्मार्ण करेंगे।

न धर्म का, न जाती का, न लिंग का भेद-भाव
भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करना है।
जहाँ पर होगी तो केवलं नैतिकता, जहाँ खरे आदर्शो का बोल बाला हो
युवाओ कदम बढ़ाओ, साहस को जुटाओ,
अपने परिश्र्म से असम्भव को सम्भव कर दिखाओ।

युवाओ
Wednesday, December 2, 2015
Topic(s) of this poem: morality
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