मगरमच्छ Poem by Upendra Singh 'suman'

मगरमच्छ

मित्रों,
शोध के प्रति मेरा गहरा रूझान रहा है. पत्नी डा. रेनू सिंह(पी-एच.डी.) , आदरणीय डा. आर.एन. प्रसाद(डी. लिट्) आदि लोगों के शोध कार्यों में भी सहयोग किया..............खैर मगरमच्छ नामक भयंकर प्राणी पर केन्द्रित यह मेरा अपना ताज़ा-तरीन और नाय़ाब शोध है, जिसका निष्कर्ष आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ –

हाँ, तो मित्रों
मेरे नवागत शोध ने
मुझे यह गूढ़ तथ्य भलीभांति समझाया है
और बखूबी बताया है कि –
मगरमच्छ नामक भयंकर प्राणी की
दो प्रजातियाँ होती हैं
एक जल में
तो दूसरी ज़मीन पर रहती है
और उसे ही
ये भोली दुनियाँ नेता कहती है.

उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Wednesday, December 9, 2015
Topic(s) of this poem: leader
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success