शर्म Poem by Ajay Srivastava

शर्म

किसी को किसी से
छोटो को बडो से
कुछ को झूठ बोलने मे
कुछ को काम न करने से
शर्म आ जाती है 11
किसी को किसी से
कुछ को सच बोलने से
कुछ को काम न करने से
शर्म बिलकुल भी नही आती 11
जानते हम भी जानते आप भी है
मानते हम भी है मानते आप भी है
कही पर आप गलत है हम गलत नही है 11
फिर डर किस बात का
स्वीकार क्यों नही कर लेते 11
फिर भी शर्म को शर्मसार क्यों नही करते 11

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