उद्गम Poem by Ajay Srivastava

उद्गम

Rating: 5.0

अपने कर्म में विश्वास है तो|

मुश्किलें आसान हो जाएंगी|


व्यवहार में विनम्रता है तो|

दुशमन भी दोस्त बन जायेंगे|


नियमो से चलने से ही|

सारी चिंताए दूर हो जाएँगी|


क्रोध पर नियंत्रण होने से ही|

शांति राह में मिल जाएगी|


समय का जब सम्मान होगा|

तब सफलता का उद्गम हो जाता है|


ये सब जब साथ है तुम्हारे, हमारे, हम सब के साथ|

फिर प्रगति भी अपने आप हमारे साथ हो जाएगी|

उद्गम
Thursday, December 24, 2015
Topic(s) of this poem: wake up
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 24 December 2015

ऐसी बातों का संग्रह जिन्हें अपना कर कोई भी व्यक्ति सफलता की राह पर चल सकता है. धन्यवाद, मित्र.

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