वास्तविकता Poem by Ajay Srivastava

वास्तविकता

सच को ना तो छुपाया जा सकता।
सच ना ही नाकारा जा सकता।
खाई तो खाई है बन जाती है तो
गहराही को नापा नहीं जा सकता।

यू ना सपने दिखाया करो।
कही दिल सच समझने की गलती कर न बैठे।
वास्तविकता की दुनिया में रहा करो।
अपने कर्मो पर गर्व किया करो।

वास्तविकता से ही खुश रहा करो।
आन्नद का अनुभव किया करो।

वास्तविकता
Monday, January 11, 2016
Topic(s) of this poem: real life
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