सब का कर्तव्य Poem by Ajay Srivastava

सब का कर्तव्य

Rating: 5.0

प्रेम को आप बाटो|
नफरत को हम हटाऐगे|

दोस्ती को तुम निभाऔ|
दुशमनी को हम जाने को कहेगे|

शांति के प्रयास आप करो|
युद्ध को हम बंद करवाऐगे|

प्रगति की और कदम आप बढाऔ|
प्रगति की राह सरल हम कर देंगे|

विशवास को आप कायम करो|
अविशवास को हम पानी मे बहा देंगे|

यही सोच हम सबकी है|
सोच को कर्म मे बदलना भी हम सब का कर्तव्य है|

सब का कर्तव्य
Tuesday, January 12, 2016
Topic(s) of this poem: inspirational
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 12 January 2016

ज़िन्दगी को उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए हा किसी का सहयोग वांछित है. बहुत सुंदर. धन्यवाद, मित्र.

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