तुझे डर है Poem by Priya Guru

तुझे डर है

तुझे खुदा समझूँ तोह तुझे डर है
इश्क़ अगर समझूँ तो भी तुझे डर है
मैं इन्सां भी समझूँ, फिर भी तोह तुझे डर है
अब भला! तू ही बता, यूँ कैसे छोड़ दूँ तुझे
पागल! ज़रा देख तुझे कितना डर है

Wednesday, January 13, 2016
Topic(s) of this poem: leaving,love
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