ये सब बहाने है Poem by Priya Guru

ये सब बहाने है

Rating: 5.0

आज-आज मैं मैं कल-कल तू तू
ये सब तोह बहाने है

उसकी आँखे, इसका इश्क़
ये भी सब बहाने है

ये नाराज़गी बहाना है तो ये बेचैनी भी बहाना है
ये कविता बहाना है तो ये फ़ोन भी बहाना है

ये आसमां बहाना है और ये जमीं भी बहाना है
तू भी है एक बहाना यहां और मैं भी हूँ एक बहाना

हक़ीक़त बस इतनी है की कुछ हक़ीक़त नहीं यहां
सच बस इतना है की कुछ सच नहीं यहां

अगर कुछ है तो कहीं और नहीं बस यहीं है, अभी में है
मुझमे है थोड़ा तोह तुझमे भी है

Wednesday, January 13, 2016
Topic(s) of this poem: healing,introspection,love
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