लोकतंञ है Poem by Ajay Srivastava

लोकतंञ है

भ्राष्टाचार सै सहमति है |
ईमानदारो से असहमति है |

आधिकारो पर सहमति है |
कर्तव्यो पर असहमति है |

अशंति फेलाने पर सहमति है |
शंति फेलाने पर असहमति है |

नियमो को तोडने पर सहमति है |
नियमो का पालन करने पर असहमति है |

व्यक्तिगत सम्मान/मानहानि पर सहमति है |
राष्ट के सम्मान पर असहमति है |

यह है भारतीय लोकतंञ है |

लोकतंञ है
Monday, February 29, 2016
Topic(s) of this poem: democracy
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