अपनी नजर Poem by Ajay Srivastava

अपनी नजर

बडो ने अपना बडडपन यू छोडा न होता
तो सच से भागना न पडता
झूठ का साहारा न लेना न पडता
दिल को तकलीफ न सहनी पडती
अपमान और ईर्ष्या का अहसास न होता 11
मानो तो सब कुछ है न मानो तो कुछ भी नही है
किसी के गिराने के से कोई गिरता नही
किसी के उठाने से उठता नही 11
केवल अहम और मिथया उठता गिरता है 11
यकीन मानो विशवास करो इस दुनीया मे
कही पर ऐसी ताकत नही है
केवल हमारी कमजोरी का लाभ उठता है 11
मन के माने हार है मन के माने जीत है
सबकी नजर मे भले ही गिर जाना
पर अपनी नजर मे अपने आप को
कभी भी भूल के भी न गिरना
कयो की यही सच है यही सही अर्थ मे जीत है 11

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