ऐ हवा Poem by Ajay Srivastava

ऐ हवा

तुम्हारे आने का अहसास ही
एक सुखद अनुभुति है
अगले ही पल जब तुम लहराती हुई आयी
और जैसे ही तुमने मेरे शरीर का आलिगन किया 11
मै ना जाने किसी और ही
सपनो की दुनीया मे चला गया 11
तुम्हारे बिना मेरा तो कोई वाजूद ही नही
जब तुम नही आती तब मे कितना
वयाकुल हो जाता हुँ मे और जब तुम गुस्से मे होती हो
मेरे को अपने साथ ले जाने के मजबूर कर देती हो 11
तुम्हें अपने महत्व का अहसास ही नही है तुम
कितनी सीधी और सरल हो तुम न केवल मेरी
बलकि सबकी जीवन प्राण हो
ऐ हवा तुम धीरे धीरे चलो बहुँत आनंद आता है 11
जब तुम धीरे धीरे लहराती हई आती हो
आओ हवा को प्रदूषण से बचाने की प्रतिज्ञा करे 11

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