कुर्सी Poem by Ajay Srivastava

कुर्सी

हर व्यक्ति की चाहत हर कोई मुझे पाना चाहता
और चाहे भी क्यों ना मै हुँ ही ईतनी आकर्षक 11
मै प्रेरणा का प्रतीक हुँ अधिकतर लोगों के पास होती हुँ 11
कुछ व्यक्ति के लिए मे अनमोल हुँ
उनका जीवन मरण प्रश्न का बन जाती हुँ 11
सारी दुनीय़ा मै लडाईयाँ मेरे कारण होती है
आशांति का कारण भी मे बन जाती हुँ 11
पदोन्नति और पदावनति मुझ मे समाहित है 11
सदुपयोग करो तो न केवल अपना बालकि
समाज और देश को प्रगति की तरफ ले जाती हुँ 11
दुरपयोग करो तो न केवल अपने को हानि पहुचाती है
बालकि समाज और देश को प्रगति को भी हानि पहुचाती है 11
एक से दो फुट की जगह लेती है चाहे जिस दिशा मै घुमा लो
सभी को खूब नचाती है यह बेजान कुर्सी 11

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