सबको पावन करना है Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सबको पावन करना है

सबको पावन करना है

नए मेहमान का आगमन
दिल में मचाता है हलचल
कुछ तो है जो आगाह करता है
बस आने मात्र की कल्पना से ही दिल मन मचलता है।

हम दोनों की एक ही है आस
वो होगा हमारे आसपास
खेलेगा, कूदेगा और सताएगा
हम दोनों का मन बहलाएगा।

हम दोनों का सपना होगा
बस वों सच में एक खिलौना होगा
ह्मारा भविष्या ओर अरमानो का का भंडार होगा
बस सबकुछ सामने होंगा और कोई आडम्बर ना होगा।

हाम्रारा सहारा बनना बुढ़ापे में
बोझ उठा लेना अपने कंधो पे
में थक जाऊं तो पकड़ लेना हाथ मेरा
ला देना ख़ुशी से भरा ओर दमकता चेहरा।

ना बस कोई और चाहना है
मेरा एक ही कहना है
जल को सिर्फ बेहता रहना है
ना रुकना बस सबको पावन करना है।

सबको पावन करना है
Sunday, May 8, 2016
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ना बस कोई और चाहना है मेरा एक ही कहना है जल को सिर्फ बेहता रहना है ना रुकना बस सबको पावन करना है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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