दिल मे Poem by Ajay Srivastava

दिल मे

प्रिय तुम एक खूबसूरत अहसास हो|
यही अहसास तुमको तुमही से मिलता है|
नही तो तुम अपने आप को भूलने का प्रयास न करती|
काश कभी तो अपने आप देखा होता, , तुम अपने आप को यू भूल जायो|

प्रियसी तुम अपने आप पर इतनी निष्ठूर क्यो |
या फिर अपने आप को निखारने का कदम है|
न तो दिल, न ही दिमाग का आदेश, यह कदम तो अपने आप से छल है|
कामनाओ को यू न छुपाया करो, यू न निष्ठूर बना करो|

प्रियसी तुम अपने आप को यू न भूलाया करो|
याद मे अपने आप को बनाया रखा करो|
नादान दिल को यू न चोट पहुचाया करो|
कामनाओ को हमेशा दिल मे रखा करो|

दिल मे
Sunday, June 26, 2016
Topic(s) of this poem: womanhood
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