ये वक़्त है साहब Poem by Kezia Kezia

ये वक़्त है साहब

Rating: 5.0

ये वक़्त है साहब

हर क्षण बदलता रहता है

वक़्त क्या कहता है

खुद को समेटता रहता है

बेहिसाब अटकलों में फँसकर

आज और कल में खेलता रहता है

ये वक़्त है साहब

हर क्षण बदलता रहता है

किसी को दिखाई नहीं देता

छुपकर सबको देखा करता है

तिनकों से महल को बनाकर

महल को बंजर में बदलता रहता है

ये वक़्त है साहब

हर क्षण बदलता रहता है

देखकर सबको तौलता रहता है

मौन होकर स्वीकृति देता है

ये कहाँ कभी ठहरा है

इसका सब पर पहरा है

ये वक़्त है साहब

हर क्षण बदलता रहता है

ढीठ बड़ा ये गहरा है

सुनता नहीं ये बहरा है

कोई न जाने कैसा इसका चेहरा है

ये वक़्त है साहब

हर क्षण बदलता रहता है

***

Monday, August 31, 2020
Topic(s) of this poem: philosophy,time
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 25 October 2020

समय बदलता रहता है और कवि को लिकने के लिए नया विषय मिलता रहता ह, एक सूंदर कविता बहुत अछि लगी

0 0 Reply
Varsha M 31 August 2020

Bahut behtareen rachna. Ye waqt hai Sahab har chan. Badalta rehta hai...

0 0 Reply
Kezia Kezia 22 September 2020

kavita pasand krne k liye bhot bhot dhanyawad

0 0
Kezia Kezia 22 September 2020

kavita pasand karne k liye bhot bhot dhanyawad.

0 0
M Asim Nehal 31 August 2020

Straight to my poem list.

0 0 Reply
M Asim Nehal 31 August 2020

Wah wah......Chalo waqt se sath Musafir, maan lo uski baat Musafir....10++++ Very thoughtful poem Aap Ki kavitayen dil ko chu jati hai... ना रुकता है न ठहरा है चलता है चलवाता है मर्ज़ी जिनता ज़ोर लाग लो लाख लगा लो पहरा पानी से तेज़ फिसल जायेगा घाव लगा कर गहरा

0 0 Reply
Kezia Kezia 22 September 2020

thanks for liking the poem

0 0
Sharad Bhatia 31 August 2020

एक बेहतरीन रचना एक बेहतरीन कवयित्री के द्वारा यह कमबख्त " वक़्त" ही तो है, जो अपनों को अपनों से दूर ले जाता है।। एक शेर अर्ज़ करना चाहता हूँ साहिल के किसी एक कोने मे ख्वाब देख रहा था, . शायद वक़्त बदलने का इंतजार कर रहा था।। मुझे पता हैं वो मुझसे मोहब्बत नहीं करती, फिर भी मैं कमबख्त उसके बदलने का इंतजार कर रहा था।। Rated 100++

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success