इस दिल से यही शिकवा है Poem by Ahatisham Alam

इस दिल से यही शिकवा है

इस दिल से यही शिकवा है
क्यों ये उसका दीवाना है
जो ग़ैर की किस्मत है
जिसे छोड़ के जाना है

चाहत में तेरी आलम
कोई तो कमी होगी
जो उसको ज़रूरत अब भी
किसी और की होगी
अपना जिसे समझा है
वो कब का बेगाना है
इस दिल से यही शिकवा है
क्यूँ ये उसका दीवाना है

जब दूर हुये थे तो
फिर दूर रहे होते
आँखों से तेरे आँसू
इतने न बहे होते
क्यों ज़ख्म को कहते हो
कि इश्क़ पुराना है
इस दिल से यही शिकवा है
क्यूँ ये उसका दीवाना है

Sunday, July 24, 2016
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success