तुम्ही में तुम, मुझी में मै, ना हो पाए।
कितनी कौशिशें की मगर कमबख्त हम अलग ना हो पाए।।
ये ख्वाईश जो ना तेरी थी,
ना ही मेरी थी,
शायद खुदा की होंगी, की हम एक हो पाए ।।
मुझे मालूम था ये ज़ेहर है जो सेहद सा है दिखरहा
बहुत चाहा मगर इससे दूर ना हो पाए।।
किस तरह कैद से हो गए थे तेरे मंजरों में
कि बाँह फैलाये पुकारती रही दुनिया, मगर उसके ना हो पाए।।
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wah beautiful.... tumhi me tum mujhi me main na ho paye
thanks