नवरात्र - जय माता दी Poem by Ajay Srivastava

नवरात्र - जय माता दी

न करे अहम।
वरण करे विनम्रता।
राह है कठिन।
तरुण भारत के निर्माण प्रश्न है।

जग्रत करना हर भारतीय नागरिक को।
यह तुम्हारा हमारा हम सबका भरत वर्ष है।

मातृभूमि की प्रगति के लिए प्रत्येक जन को एक कदम उठाना है।
तालमेल और समझ को प्रेरित करना है।

दीन-हीन व दरिद्रता को दूर भगाना है।
खुशहाली व सम्पन्नता की और कदम बढ़ाना है।

नवरात्र - जय माता दी
Saturday, October 1, 2016
Topic(s) of this poem: devotion
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 01 October 2016

मातृभूमि की प्रगति के लिए प्रत्येक जन को एक कदम उठाना है। तालमेल और समझ को प्रेरित करना है।.... yes, this should be. Beautiful poem. Thanks for sharing.

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Kumarmani Mahakul 01 October 2016

मातृभूमि की प्रगति के लिए प्रत्येक जन को एक कदम उठाना है। तालमेल और समझ को प्रेरित करना है।.... yes, this should be. Beautiful poem. Thanks for sharing.

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