पर्ण-एक दूसरे का प्यार Poem by Ajay Srivastava

पर्ण-एक दूसरे का प्यार

कर्म है श्रद्धा का।
रंग है प्यार का।
वरन है प्रण का।
आवरण है समन्वय का।

चाँद तो आशा का प्रतिक है।
उत्तम संबंधों का आधार है।
थाम के रखना एक दूसरे को प्यार की डोर में।

पर्व का यही पर्ण है।
पर्ण से ही रंग है।
रंग की गहराई में सम्बन्ध का आधार है।

पर्ण-एक दूसरे  का प्यार
Wednesday, October 19, 2016
Topic(s) of this poem: festival
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