बे-मौसम बरसात... Poem by Vikash Ranjan

बे-मौसम बरसात...

बे-मौसम बरसात हुई, भीग गया मेरा तन-मन,
बारिश की बूंदों ने कर गया घायल मेरा मन |
ऐसा तो पहले भी हुआ था, पर था कुछ एहसास नया,
कतरा-कतरा जब बारिश की, मेरे मन को छूने लगा,
दिल में हुई एक हलचल ऐसी, बढ़ने लगी दिल की धड़कन |
बे-मौसम बरसात हुई, भीग गया मेरा तन-मन...

रिमझिम-रिमझिम बरिसों में,
याद फिर उसकी आने लगी |
भीगे थे हम पहले कभी,
फिर यादें उसकी भीगोने लगी |
चलते-चलते बारिश में, खुल गयी यादों के दर्पण |
बे-मौसम बरसात हुई, भीग गया मेरा तन-मन,
बारिश की बूंदों ने कर गया घायल मेरा मन |

Monday, October 24, 2016
Topic(s) of this poem: feelings,love,rain
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