आँखों से तेरी छलकता है इश्क-ग़ज़ल Poem by MANINDER SINGH

आँखों से तेरी छलकता है इश्क-ग़ज़ल

Rating: 4.5

आँखों से तेरी छलकता है इश्क,
बन गीत लब पर थिरकता है इश्क,

काली घटा सी जुल्फें है तेरी ये,
जुल्फें देख तेरी सवँरता है इश्क,

हम हो गये तेरी नज़र से कत्ल,
इस कत्ल में भी झलकता है इश्क, ,

है चाल हिरणी सी तेरी, बल खाती,
सज धज के राहों पे निकलता है इश्क,

नगमा "मनी" बन जा तू, मेरे दिल में,
तेरे लिये मेरा धडकता है इश्क, ,

मनिंदर सिंह "मनी"

Tuesday, December 6, 2016
Topic(s) of this poem: love and life
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 07 December 2016

प्रेम और प्रिय के सौंदर्य की बहुत आकर्षक अभिव्यक्ति. प्रभावपूर्ण भाषा व शैली. Thanks.

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