प्रवाह Poem by Ajay Srivastava

प्रवाह

रोक लो प्रवाह नदी का और
पहुँचा दो जन - जन मे उजियारा 11

मोड दो प्रवाह नदी का और
ले लो खुशहाली खेत खलियानो की 11

नदी के प्रवाह को पीछे
धकेलने का आनंद उठा लो 11

ले लो सीख जीवन मे आगे बढने की
न हम रूकेगे न हम थकेगे
कर लेगे हर बाधा को पार 11

जीवन के प्रवाह को नदी के प्रवाह की तरह
हमेशा चलते रहना Cहै अपनी राह हर बना लेनी है
यही तो सही अर्थ है प्रवाह का, अपना लो 11

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