हमारा प्यार Poem by Biplab Singha

Biplab Singha

Biplab Singha

Dohaguri, Kharibari, Darjeeling, West Bengal

हमारा प्यार

Rating: 5.0

बो कागज का टुडका यो मेने तुमे दिया
तुम भी तो मुझे एक कागज का टुकरा दिया।
बडने लगा हमारे दोस्ती यसेही
पास आने लगे जरा जरा।
लिकिन उसदिन जिसदीन तुमारे पापा को बता चला
तो तुमे लेगया मुझसे बहत दुर एक जगह।
ना ढुन सका मेँ ओर तुमे, पागल होने लगा धीरे धीरे तुमारी जुदायी मेँ।
बता नही हो कहा तुम, तुमे तो भुला नही सका।
तुमारी साया आजभी आशपाश मेरा घुमने लगा।
किया आजभी याद कर रहेँ हेँ बो मुझे?
किया बो फिर आयगा प्यार करने के लिये?

Saturday, May 10, 2014
Topic(s) of this poem: Love
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
मे जानता हु इस कबिता मे बहत सारा त्रुटि हें। आपसे निबेदन हेँ मुझे अबगत करायें।
This poem is written in Hindi.
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 19 August 2014

A lovely attempt to write a poem in Hindi, i really liked it.

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