पत्थरों को फूल बनाकर।
पत्तों के गहनों से सजाकर।।
श्रम का तूने बीज बोया।
ना प्रेम, ना भक्ति को खोया।।
कैद सपनों को मोड़।।
झूठे कसमों को तोड़।।।
प्राणियों मे प्राण डाला ।
बना दिया तूने नदी-नाला ।।
जलते अंगारों को बुझाकर ।
सोये हुए जीवन को जगाकर ।।
किए तूने चमत्कार तमाम ।
चमन के बागवाँ तुझे सलाम ।।
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