ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो Poem by NADIR HASNAIN

ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो

(ग़ज़ल)
ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो
ख़ूबसूरत सी है मुझपे मरती है वो
नैन हैं नरगीसी ज़ुलफ काली घटा
शरबती होन्ट है चेहरा माहताब सा
आईने सा है दिल जैसे मासूम हो
ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो

कर गई बेख़बर उसकी जादूगरी
मलका ए हुस्न है या कोई है परी
उसकी शर्म ओ हया उसकी पहचान है
मेरी ज़िंदगी उसपे क़ुरबान है
रक़स करने लगे जब कोई भी नाहो
ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो

छू रही तन बदन उसकी बादे सबा
साँसों में है बसी बस वही वो हवा
छा रही है घटा उसकी ज़ुल्फ़ो तले
क्यों ना उसपे फिदा मेरी ये जान हो
ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो

मीठी आवाज़ है जैसे हो ऱाग्नी
चाँद शर्मा गया ऐसी है चाँदनी
हो गया दिल फिदा जो भी अंजाम हो
ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो
: नादिर हसनैन

ऐसी लड़की है वो ऐसी लड़की है वो
Saturday, November 14, 2015
Topic(s) of this poem: love
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