वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! ! Poem by NADIR HASNAIN

वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !

जागो भाई जागो बहना जागो हर इंसान
ज़ात पात के झगड़े में पिछड़ ना जाए हिन्दुस्तान

हर मज़हब के मानने वालो देश का उँचा नाम करो
ख़ून ख़राबा करके इसको ऐसे ना बदनाम करो
पास में जाकर वहाँ पे देखो जहाँ पे दंगा होता है
नहीं हैं मरते हिंदू मुस्लिम मरते हैं इंसान मरते हैं इंसान
वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !

बना कर मुद्दा मंदिर मस्जिद दंगे को भड़कता है
माँ बहनों की लूट के इज़्ज़त आग में छिड़का जाता है
इसे ही कहते देश द्रोही यही है वोह हैवान यही है वोह हैवान
वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !

बहकावे में हम सब आकर ख़ून ख़राबा करते हैं
हम हैं हिंदू तुम हो मुस्लिम इसी बेना पर लड़ते हैं
नहीं है कहता मज़हब कोई लड़ कर देदो जान
वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !

होता है बदनाम वतन ये और पिछड़ता जाता है
मुल्क के मज़लूमों पर कोई ज़ुल्म अगरचे ढाता है
काम करो ऐसा के भाई देश बने बलवान देश बने बलवान
वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !

बनो अहिंसक गाँधी जैसा हिंसक पथ को छोड़ दो
जो भी करता ख़ून ख़राबा नाता उससे तोड़ दो
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब तो हैं इंसान
वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !

: नादिर हसनैन

वतन के लोगो! ! ! ! ! ! ! ! ! ! वतन के लोगो! ! ! ! ! !
Saturday, November 14, 2015
Topic(s) of this poem: nation
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