ख़्याल होता नही ख़्याल का Poem by Yashvardhan Goel

ख़्याल होता नही ख़्याल का

ख़्याल होता नही ख़्याल का, कौन सा लिखना है!
हाल होता नही हाल का, कौन सा लिखना है!
बस झुक जाता है सर, जब क़लम उठती है!
ज़बाब होता है हर सवाल का, कौन सा लिखना है!

Saturday, May 24, 2014
Topic(s) of this poem: art
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Yashvardhan Goel

Yashvardhan Goel

Brijghat
Close
Error Success