अभी और यहीं Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

अभी और यहीं

अभी और यहीं

तु साथ हैं, तु साथ हैं
तु खुदा हैं कोई, ना जुदा है कोई
तेरी एक यारी, अभी और यहीं
तु साथ हैं, तु साथ हैं
साथी तेरा साथ हैं, मुझे ऐसा लगता है
सिरपर तेरा हाथ है, मुझे ऐसा लगता है
फूलो से तू ज्यादा सुंदर, खुबसूरत तु
मिश्री से तु ज्यादा मिठा, ऐसा लगता है
तु साथ हैं, तु साथ हैं
तु खुदा हैं कोई, ना जुदा है कोई
तेरी एक तारी, अभी और यहीं
तु साथ हैं, तु साथ हैं

Monday, December 29, 2014
Topic(s) of this poem: meditation
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success