वो मै ही तो हूँ Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

वो मै ही तो हूँ

हालात में जीने वाला
हालात पे मरने वाला, मैं नही
हालात से दिल मेरा बरी
वो मैं ही तो हूँ
मेरी चमक नोच लो
चमक फिर से बना लूंगा मैं
आज़ाद हूँ दिल मेरा बरी
वो मैं ही तो हूँ
गर रोटी के जलता हुआ सीना होगा
मिट्टी में बहा दुंगा लहु मैं अपना समझ के पसीना होगा
मजाल हैं कोई आए बला
भला मैं ही तो हूँ
वो मैं हीं तो हूँ

(डॉ. रविपाल भारशंकर)

Monday, December 29, 2014
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success