जोड़ीयाँ Poem by julzun kutail

जोड़ीयाँ

लोग कहते हैं जोड़ीयाँ ऊप्पर वाला बनाता है।
हम कहते हैं वो हमारे पास आएगी या हम ऊप्पर वाले के पास।
चल दिए थे उनकी यादों को समेटे हूए मरने
चल दिए थे उनकी यादों को समेटे हूए मरने
मगर क्या करें उनकी 'साथ मरने' की झूठे वादे ने रोक लिया।

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