जज्बा Poem by Ajay Srivastava

जज्बा

देश प्रेम के लिए हमारा जज्बा कम नहीं है
कभी राजनीती तो कभी काले धन वालो का दबाब है
देश प्रेम के लिए समय कम नहीं होता नहीं होता तो साथ नहीं होता
कभी देश की जनता का साथ नहीं होता तो कभी परिवार का साथ नहीं होता
सबको पता है हम कितने मजबूर हम है ।
देश प्रेम के लिए हमारा जज्बा कम नहीं है ।

देश प्रेम की लो देर से दिल में जगी है
आओ थोड़ा देश प्रेम हम करे थोड़ा थोड़ा सभी जन करे
प्रण करें कि देश से जति, लिंग और धर्म का भेदभाव मिटा डाले
प्रण करें कि देश से भ्रष्टाचार नाम के कैंसर को जड़ मूल से मिटा डाले
देश प्रेम के लिए हमारा जज्बा कम नहीं है ।

बता दो देश के एक एक जन को देश प्रेम की लो जो अब जगी है
मशाल का रूप धारण कर लेगी, मिटा डालेगी
आनीति, अन्याय, भेदभाव और भ्रष्टाचार को
कह दो सारे संसार से हम
देश भक्ति में हम किसी से कम नहीं
देश प्रेम के लिए हमारा जज्बा कम नहीं है ।

Thursday, May 28, 2015
Topic(s) of this poem: feeling
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