दंगा Poem by Shobha Khare

दंगा

दंगा हिंसा बढ़ रही, आबादी की मार I
नेता जी मुस्का रहे, पहन पुष्प का हार I
पहन पुष्प का हार, लोग जिंदाबाद कहे I
आबादी है अधिक, कहा सब लोग रहे II


वोटो का हित बढ़ रहा, आबादी का रोग I
कुर्सी पर कुर्सी चढ़े, नेता करते योग I
आबादी नित बढ़ रही, देश हुआ बेहाल I
जगह- जगह देश मे आएंगे महा कालII

Wednesday, August 5, 2015
Topic(s) of this poem: life
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