मै लडकी हुँ Poem by Ajay Srivastava

मै लडकी हुँ

भारतीय आकाश मै जैसे ही यह खबर आयी
आग की तरह फेल गयी
बहुमत के चेहरे लटक गये, कुछ थोडा चुप
एव दो चार लोग के चेहरे खिले दिखाई दिए
इन सब लोगे मे अमीर, साघारण एव गरीब वगॅ शमिल है
लेकिन सभी एक लक्षय को लेकर योजना बनानी शुऱ कर दी 11

कुछ बहुत तनाव मे मिलाया बीमा कंपनी के एजेंट
को टेलीफोन मिलाया बीमा पॉलिसी के लिए 11
कुछ लोगों को लगा कि उनका काम कम हो जाएगा 11
कुछ लोगों ने सोचा अपनी आय को कैसे बडाई जाए
ताकि भविषय मे धन की कमी न हो 11

जिनके चेहरे खिले दिखाई दिए उनहोने सोचा
हम किसी तरह का भेद - भाव नही करेगे
और उसे हर तरह से सही दिशा प्रोत्साहित करेगे
अपने आप इतनी सक्षम, योगय एव सबल बनाएगे
ताकि उसको किसी के सामने शरमिनदा न होना पडे
या यह कहना पडे कि मै लडकी हुँ 11

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