A-014. डर लगता है तेरे पास आने में Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-014. डर लगता है तेरे पास आने में

Rating: 5.0

डर लगता है तेरे पास आने में 24.4.15- 4.15 AM

डर लगता है तेरे पास आने में
आने हँसने और मुस्कुराने में
तेरी नज़र से नज़रें मिलाने में
टूटे न सब्र तेरे करीब आने में

तेरा अच्छा होना मुझे डराता है
तेरा भरोसा मुझे काट खाता है
न देखो इस कदर मेरे ए सनम
तेरा ऐसा होना आग लगाता है

तुमने सिर्फ चुटकी ही तो काटी थी
सिहरन सारे तन बदन में जागी थी
अंग अंग से छूटने लगा पसीना था
मर ही गई मुश्किल हुआ जीना था

प्यार से कलाई ही तो पकड़ी थी
अंदाज़ा भी है कितना तड़फी थी
जान निकल गयी थी उसे छुड़ाने में
उलझ गयी थी खुद को समझाने में

तूने प्यार से करीब ही तो बुलाया था
सारे तन बदन ने मुझको हिलाया था
दिल मेरा उछले भी कभी घबराया था
कुछ कहना था मगर कह न पाया था

तेरे हाँथो के निवाले कुछ कम नहीं
मेरे होठों को भी छुएं कुछ गम नहीं
तेरी अदा मुझे बार बार खिलाने की
काफी थी मेरे लिए मुझे रिझाने की

तुमने मुझे छुआ मैं मर ही गयी थी
बाहों में आकर तो डर ही गयी थी
तड़प थी खुद को तुझसे छुड़ाने की
या तड़प थी बाँहों में कसमसाने की

बाहों के दरमियाँ गिरकर भी देखा है
वफ़ा पे शक नहीं तेरी भी एक रेखा है
कैसे कहूँ मैं अब कि तुम मेरे नहीं हो
तुम ही तो हो यही मेरी जीवन रेखा है

अभी मेरा सोलह श्रृंगार भी बाकी है
प्रियसी होने का इंतज़ार भी बाकी है
मेरे सपने मेरे ख्वाब भी गौर तलब हैं
हकीकत की दुनिया इज़हार बाकी है

डर लगता है तेरे पास आने में
आने हँसने और मुस्कुराने में……..!
आने हँसने और मुस्कुराने में……..!

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-014. डर लगता है तेरे पास आने में
Thursday, June 9, 2016
Topic(s) of this poem: love and friendship
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 09 June 2016

प्रेम में संशय व शिकायत की मनोदशा का सुंदर चित्रण. धन्यवाद. तेरा अच्छा होना मुझे डराता है.... अभी मेरा सोलह श्रृंगार भी बाकी है.... डर लगता है तेरे पास आने में...

1 0 Reply

Thank you so much sharing your feelings & your inspiration! & rating me with 10 marks.

0 0
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success