अभी नव संसार बसाना बाकी है (ABHI NAV SANSAAR BASAANA BAAKI HAI) Poem by Nirvaan Babbar

अभी नव संसार बसाना बाकी है (ABHI NAV SANSAAR BASAANA BAAKI HAI)

दिन ढलता रहा है, धीरे - धीरे,
अभी काम बहुत से, बाकी हैं,
जीवन पथ पे, चलने वाले,
श्वास अभी भी बाकी हैं,

चलना तो तेरा काम है पंथी,
राह अभी भी बाकी है,
झाँक ज़रा तू अपने अन्दर,
जान अभी भी बाकी है,

जो होना है, वो होना ही है,
डर ना ऐ, मतवाले तू,
हर मुश्किल को बहा तू लेजा,
तुझ मैं चंचलता, अभी भी बाकी है,

कष्ट तेरा हर इसी किनारे,
उस छोर नया सवेरा है,
जीवन का हर पल है तेरा,
अभी हर पल जीना बाकी है,

अभी नव संसार बसाना बाकी है,
अभी नव संसार बसाना बाकी है

निर्वान बब्बर

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COMMENTS OF THE POEM
Shraddha The Poetess 07 September 2013

vryyy nice............. nice one sir......

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