Akash Khula Hai Poem by milap singh bharmouri

Akash Khula Hai

आकाश खुला है

आकाश खुला है
ऊडान भरो
पर इस धरती से भी
जुड़े रहो
क्योंकि इक दिन
उड़ते -उड़ते थक जायंगे
ये कामयाबी के पर
कट जायंगे
या वक्त का धागा
क्षीण हो जायेगा
तब ये धरती ही काम आएगी
अपनी ममतामयी गोदी में
हमे सुलायेगी

मिलाप सिंह भरमौरी

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
ye kavita milap singh bharmouri dwara likhi gayi hai.
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success