अन्धेरा कितना भी हो फिर भी जगमगाना है
जिंदगी बोझ बनके उम्र भर जब रह जाये , आदमी इस तरह उलझे कि मौत तडपाये
भ्रष्टाचार जब सरकार कि गलियो मे फिरे, देश के नेता ही जब भ्रष्टाचारी हो जाये
हमसफर आधे रास्ते मे हाथ छोड दे जब , अपनें भी जब पराये जैसा हो जाये
झूठ की मार हुई , झूठ की ही मार हुई, झूठ की मार हुई, झूठ की ही मार हुई
सच तो भीखार हुई, झूठ की ही मार हुई
अंधेरा कितना भी हो फिर भी जगमगाना है, एक नयी क्रांती को नवयुवको मे जगाना है
कहने वाले हमे कहते रहे चाहे पागल, ईसी पागलपन से आज मुस्कराना है
एक नयी क्रांती को नवयुवको मे जगाना है , यूवाओ मे एक आग को जलाना है
आदमी खेत मे खटते-खटते मर जाये, और जब शाम को वह पेट भर भी ना पाये
रोते बच्चो के चेहरे सामने जब आ जाये, हमारी जिंदगी जब बोझ बनकर रह जाये
बस उसी वक्त लगता है की मर हम जाये, बस उसी वक्त लगता है की मर हम जाये गरीबो मे भी गरीबी का साथ ना होता, भ्रष्टाचार का भारत मे बात ना होता
2013 मे भ्रष्टाचार शिखर पे छाया यु. पी. के मुजफ्फरनगर मे हिंसा भडकाया
वो तो कुर्सी पे बैठ के राज करते थे, शासन के बदले अपराध करते थे रोटी को भी उन्होंने नहीं है आज छोडा, भारत मे रोटी को दिन की दिहाडी से मोडा
भारत मे जब रोटी जब दिन कि दिहाडी से मॅहगी
तब ऐसा लगता है की देश मे दो चीज सस्ती, तब ऐसा लगता है की देश मे दो चीज सस्ती
एक औरत की ईज्जत दूजा मर्द की गैरत , एक औरत की ईज्जत दूजा मर्द की गैरत
भ्रष्टचार को अब जड से मिटाना है, एक नये भारत की शुरुआत करके जाना है
कविता का सार और मेरा यह पुकार है, भारत मे भ्रष्टाचार मुक्त सरकार है
नवीन चेतना का यही एक प्यार है, भारत मे गरीबी का कोई ना अधिकार है
अविनाश पाण्डेय "खुश" ग्राम कसियॉव पो. जमालापुर जिला जौनपुर, उ.प्र. 222137
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