अपने तो यहाँ मिलते ही नहीं (APNE TO YAHAN MILTE HI NAHI) Poem by Nirvaan Babbar

अपने तो यहाँ मिलते ही नहीं (APNE TO YAHAN MILTE HI NAHI)

Rating: 5.0

हर युग यहाँ कभी अपना था,
अब हर पल यहाँ पराया है,

संसार ये सारा झूठ भरा,
सच यहाँ तो बस माया है,

काया के प्रेमी बसते हैं यहाँ,
रूह के प्रेमी दीखते ही नहीं,

हम दीवाने अब जाएँ कहाँ,
राहों के छोर मिलते ही नहीं,

हम धुन के तो बड़े पक्के हैं,
पर मंजिल के निशान मिलते ही नहीं,

हर दीप दिल का जला कर बैठे हैं,
पर अँधेरे अब इनसे हठते ही नहीं,

हम सारे जहाँ मैं अकेले हैं,
अपने तो यहाँ मिलते ही नहीं,
अपने तो यहाँ मिलते ही नहीं,

निर्वान बब्बर

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