Daarshnik - A Hindi Poem Poem by Vikas Sharma

Daarshnik - A Hindi Poem

Rating: 5.0

दार्शनिक

निरर्थक जीवन निरर्थक बातें
नकली चेहरे, झूठे मुखौटे
समझदारी की व्यर्थ चेष्टा
ईश्वर में भी झूठी निष्ठा
लालच से भरी हर मंशा
सिर्फ लोकप्रियता की आकांक्षा
खोखले पर सुंदर शब्दों का प्रयोग
सांसारिक व्यवहारिता का मनोयोग
लोगों के दृष्टिकोण की सदैव चिंता
और उधार ली हुई बौद्धिकता
चेहरे पर गंभीरता का पहनावा
जीवनशैली में झूठी शान का दिखावा
काम क्रोध लोभ से रहित होने का दावा
वास्तविकता से दूर सपनो का झूठा भुलावा
लो यह सब तैयार कर लिया मैंने
जैसे तैसे सब सीख लिया मैंने
अब मैं भी बच्चे से व्यसक बन जाऊंगा
स्वयं को समझदार दार्शनिक कहलवाऊँगा............

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